Monday, April 30, 2012

एक गीत कोयल का सुना दो...............विवेक रतन सिंग

एक रुपहली रात 
हम दोनों हैं साथ 
चुप -चुप मैं और तुम 
चाँद कहे अपने दिलों की बात 
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अँधेरे में सपनों की 
बस होने दो मुलाकात 
और डूबने दो ख्यालों में मेरे 
तुम अपने ख्यालात 
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लड़ने दो खामोशियों 
को उदासियों को जूझने दो 
जवाब कुछ सवालों के 
दिमाग को सूझने दो 
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आँखों ही आँखों में 
धडकनों को तुम घूमने दो 
सांसों को दो प्रेमियों की तरह 
देह की रंग-रंग में झूमने दो 
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बहा दो झरने चट्टानों से 
घोंसलों में पक्षियों को बसा दो 
पेड़ों की पत्तियों को तुम 
एक गीत कोयल का सुना दो 
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अनमोल जो भी मोती है 
उसे समुन्दर के सीप में छुपा दो 
और करके शरारत ठंडी बर्फ सी तुम 
शीतल मुस्कान से मुस्का दो 
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सुहाना मौसम देखो साथ 
लेलो हाथ में मेरा हाथ 
रिमझिम हो रही है बरसात 
तुम हो आस्था,मैं विश्वास 
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एक रुपहली रात 
हम दोनों हैं साथ 
चुप -चुप मैं और तुम 
चाँद कहे अपने दिलों की बात
 ----विवेक रतन सिंग 
गूगल+ से साभार

2 comments:

  1. beautiful..............

    thanks yashoda for sharing this.

    ps- please remove word verification...it will be easier for the readers to comment.

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  2. Simply beautiful :) Aap bohot accha likhti hain :)

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