Saturday, July 7, 2012

आदमी पर गिद्ध मडराने लगे हैं.........."चरण"

आदमी पर गिद्ध मडराने लगे हैं
दुर्दिनो के काफिले आने लगे हैं

देखिये क्या वक्त ने बदले हैं तेवर
जन्म दिन पर मर्सिया गाने लगे हैं



इस निगोड़ी भूख की पराकाष्टा तो देखिये
कल्पनाएँ भूनकर खाने लगे हैं

हादसे जिनको समझ दफना चुके थे
आजकल फिर ज़हन पर छाने लगे हैं

जिनके कंधो पर भरोसा करके बैठे
अब वही संबल कहर ढाने लगे हैं

बांध ले बिस्तर चलें कहीं और हंसा
अब यहाँ पर साये लम्बाने लगे हैं .

---"चरण"
Fremont, CA 94538 कैलिफोर्निया
फोनः 00 1 510-657-7027










6 comments:

  1. बहुत अच्छा लगा चरण सर को पढ़ कर...

    शुक्रिया यशोदा जी.

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    1. शुभ प्रभात
      शुक्रिया जीजी

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  2. इस निगोड़ी भूख की पराकाष्टा तो देखिये
    कल्पनाएँ भूनकर खाने लगे हैं"
    विकलता को बहुत सुन्दर शब्द दियें हैं आपने
    पूरी की पूरी ग़ज़ल खूबसूरत है

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    1. शुक्रिया ब्लाग दर्शन हेतु
      धन्यवाद अंजनी भाई

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  3. haunsle jab tak sath hain , ye gidh upar hi mandrate rahenge,
    nazar koi kitni bhi laga de, khushiyan manate rahenge.

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  4. शुक्रिया
    आपको और आपकी पूरी टीम को

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