Thursday, November 22, 2012

'मैं तो तुम्हारे पास हूँ ...'.......सदा

माँ.. कैसे तुम्‍हें
एक शब्‍द मान लूँ
दुनिया हो मेरी
पूरी तुम
आंखे खुलने से लेकर
पलकों के मुंदने तक
तुम सोचती हो
मेरे ही बारे में
हर छोटी से छोटी खुशी
समेट लेती हो
अपने ऑंचल में यूँ
जैसे खज़ाना पा लिया हो कोई
सोचती हूँ ...
यह शब्‍द दुनिया कैसे हो गया मेरी
पकड़ी थी उंगली जब
पहला कदम
उठाया था चलने को
तब भी ...
और अब भी ...मुझसे पहले
मेरी हर मुश्किल में
तुम खड़ी हो जाती हो
और मैं बेपरवाह हो
सोचती हूँ

माँ..हैं न सब संभाल लेंगी .....


माँ..की कलम मेरे लिए .... 

लगता है 
किसी मासूम बच्चे ने
मेरा आँचल पकड़ लिया हो 
जब जब मुड़के देखती हूँ
उसकी मुस्कान में 
बस एक बात होती है
'मैं भी साथ ...'
और मैं उसकी मासूमियत पर 
न्योछावर हो जाती हूँ
आशीषों से भर देती हूँ
कहती हूँ 
'मैं तो तुम्हारे पास हूँ ...'

रेत पर महल कब तक टिकेगा?.................डॉ. माधवी सिंह

जड़ में लगी हो घुन तो
पेड़ गिरकर ही रहेगा

नैतिकता से वंचित जीवन
जिस राह पर चलेगा

उस राह को वह
एक दिन तबाह ही करेगा

क्यों 'औसत नागरिक' का
जीवन हम नहीं स्वीकारते

क्यों अंधी दौड़ में हैं
चलते चले जाते

भौतिकता तो भटकाती ही रहेगी
मन को

सादगी से भरा 'जीवन आदर्श' ही
हमारा पथ प्रशस्त करेगा।

- डॉ. माधवी सिंह



Tuesday, November 20, 2012

पाँच शूलिकाएँ...................संजय जोशी "सजग"


* शुलिका 1 *
घोटाले पर घोटाले
जब खुलते घोटाले
हर दल उसको टाले
सब के हाथ है काले


* शुलिका 2 *
महंगाई के बम फूटे
सरकार के बहाने झूटे



* शुलिका 3 *
हमारा माल
बेचे विदेशी मॉल
केसा बिछा रहे जाल
क्यों कर रहे हलाल
देश होगा कंगाल
जनता होगी बदहाल



* शुलिका 4 *

राजनीति का द्वन्द
धरना, प्रदर्शन, बंद
खुश होते है कुछ चंद
कितने चूल्हे रहते बंद


* शुलिका 5 *
घोटाले का बीज बोओ
भ्रष्टाचार से सींचो
रिश्वत के फल तोड़ो
ऐसे पेड़ पर लगते पैसे
*कौन कहता है ..पैसे पेड़...पर नही लगते ..............

संजय जोशी "सजग"

क्षितिज के पार...............डॉ. माधवी सिंह

मन को तृप्त करती तो है
रोशनी दिवस की
रात्रि के पहर में
क्षितिज के पार दिखाई देता है

 

अगणित तारे, तारामंडल
और नक्षत्रों का समूह
मन को अनंत की
सीमा के पार ले जाता है

जीवन के स्वरूप में
कुछ ऐसा ही रहस्य समाया है
सुख का मद और दुख की वेदना
एक ही चक्र की माया है

हां, जब चाह होगी उस दृष्टि की
जो आत्मा अनंत को दिखा सके
तब मिलेगा आनंद वह जो
है छिपा गहरे अंतरंग में।
- डॉ. माधवी सिंह


Friday, November 9, 2012

नग़मा-ए-शौक़..............मख़मूर सईदी

 
अब तक आए न अब वो आएँगे, कोई सरगोशियों में कहता है
ख़ूगरे-इंतिज़ार आँखों को, फिर भी इक इंतिज़ार रहता है

धड़कनें दिल की रुक सी जाती हैं, गर्दिशे-वक़्त थम सी जाती है
बर्फ़ गिरने लगे जो यादों की, जिस्म में रूह जम सी जाती है

इक सरापा जमाल के दिल में, मोजज़न जज़्बाऎ मोहब्बत है
चेहरा-ए-कायनात पर इस वक़्त, अव्वलीं सुबहा की लताफ़त है

मुस्कुराकर वो जान-ए-मोसीक़ी, मुझसे दम भर जो बोल लेती है
मुद्दतों के लिए इक अमृत सा, मेरे कानों में घोल देती है

हर नज़र में हैं लाख नज़्ज़ारे, हर नज़ारा नज़र की जन्नत है
दो मोहब्बत भरे दिलों के लिए, ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है

मुस्कुराती हुई निगाहों में, सरख़ुशी का चमन महकता है
तेरी इक इक अदा-ए-रंगीं से नश्शा-ए-दिलबरी टपकता है 

मुद्दतों बाद फिर उसी धुन में, नग़मा-ए-शौक़ दिल ने गाया है
जानेजाँ! तेरे ख़ैरमक़दम को, गुमशुदा वक़्त लौट आया है
   




शायर - मख़मूर सईदी

हमेशा देर कर देता हूँ मैं.......... मुनीर निआज़ी





ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

मदद करनी हो उस की
यार को ढाढस बंधाना हो

बहुत देरीना रस्तों पे
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

बदलते मौसमों की सैर में

दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

किसी को मौत से पहले

किसी ग़म से बचाना हो
हकीकत और थी कुछ उस को
जा के यह बताना हो

हमेशा देर कर देता हूँ मैं

--मुनीर निआज़ी

Monday, November 5, 2012

सहेली रेत की...............प्रकाश मंगल सोहनी



हाँथो से फिसलती रेत से
पूछा मेंने इक बार-
'कौन हे तेरी सहेली?'



मुस्कुराकर रेत ने कहा,
'वही, जो संग तुम्हारे गाती है
उलझा कर तुम्हें गीतों में
धीरे से फिसल जाती है। '

'मुझमें उसमें फर्क है इतना,
मैं हकीकत, वो एक सना।
मेरी फिसलन दिखती है,
महसूस भी हो जाती है।'

'...पर वो निगोड़ी देकर अहसास,
सफर के साथ
फिसलकर हाँथों से
न जाने कहाँ खो जाती है,
मत पूछ उसका नाम
वो जिन्दगी कहलाती है.'


-प्रकाश मंगल सोहनी

Sunday, November 4, 2012

राधा अष्टमी है बुधवार को..... प्रेम से कहिये.... जय श्री राधे



राधे तू बड़ी भागनी , 
तैने कौन तपस्या कीन्ह // 
तीन लोक तारन तरण , 
सो तेरे आधीन// 
राधे - राधे जपे ते भव बाधा मिट जाए // 
कोटि जनम की आपदा 
राधा नाम से जाए // 
जय श्री राधे..........
राधा जी का जन्म दिन पर आप सभी को अशेष शुभ कामनाएँ