Sunday, June 23, 2013

सूद में क़िस्त जाती रहती है..............अनवारे इस्लाम

 
झूठ बोला है किस सफाई से
ऐसी उम्मीद थी न भाई से

इतना कहते हुए झिझक कैसी
काम बिगड़े भी है भलाई से

बात घर की है घर में रहने दे
फ़ायदा क्या है जग हंसाई से

बरकतें ही न घर की उड़ जाएँ
बचके रहिए ग़लत कमाई से

मोड़ आने लगा कहानी में
रोक दे दास्ताँ सफ़ाई से

सूद में क़िस्त जाती रहती है
अस्ल चुकता नहीं अदाई से

-अनवारे इस्लाम

सौजन्य अशोक खाचर
http://ashokkhachar56.blogspot.in/2013/06/mizaajkaisahaianwareislaam.html

3 comments:

  1. दिदि शुख्रीया
    और गझल की जितनी तारीफ करे कम है....वाह वाह
    सब शेर लाझवाब है.....अनवारे इस्लाम साहब जैसा इन्सान मैने बहोत कम देखे है....अए कबीर की तरह है या कहे कबीर की तरह है तो चलेगा...अपनी बात आसान लफ्जों मे कहेते है और बात भी गहेरी...दीदी एक बार फिर से शांत मन से पढना फिर सोचना हर शेर के बारे में....ए गझल ही नही हकिकत है सच्चाई है..
    सूद में क़िस्त जाती रहती है
    अस्ल चुकता नहीं अदाई से

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  2. बात घर की है घर में रहने दे
    फ़ायदा क्या है जग हंसाई से.

    बहुत सुंदर गज़ल. सलाम अनवारे इस्लाम जी को.

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