Sunday, July 31, 2016

हमें ही जीने दो......इन्द्रा


उड़ान




















हमें ही  जीने दो
मत थोपो अपने सपने
हमें  ही बुनने दो
अच्छे और बुरे का
बस फर्क तुम बता दो
कैसे गगन में उड़ना
इतना बस सिखा दो
लकीर के फ़क़ीर
बनना नहीं हमें
नए रस्ते अपने लिए
तलाशेंगे  खुद ही हम
तुम तो बस हमें
उड़ने को छोड़ दो
या साथ हो लो हमारे
नए नए सपने बुनो
सपने बनाने की
कोई उम्र होती नहीं
छोड रूढ़िवाद  और
पुरानी परम्पराएँ
सब नया  नहीं है बुरा
विश्वास करके देखो
मेरा हाथ पकड़ कर
फिर से उड़ कर देखो
जब सब का साथ हो
कठनाई डर  के भागेगी
मंज़िल सच हमें
खुद ब खुद तलाशेगी

-इन्द्रा

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