Thursday, October 19, 2017

चंद हाईकू...नरेंद्र श्रीवास्तव


शिकारी हारा
जाल सहित पक्षी
नभ में उड़े।
*
दर्द के गीत
प्रीत लिखती रही
पत्थर देव।
*
मौन आकांक्षा
मन की बात जाने
कोई अपना।
*
शब्द व्यथित
अपरिचित जन
भाषा अंजान।
*
नदी से रेत
पर्वत से खनिज
लुटती धरा।

-नरेंद्र श्रीवास्तव


2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (20-10-2017) को
    "दीवाली पर देवता, रहते सदा समीप" (चर्चा अंक 2763)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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